मंगलवार 23 सितंबर 2025 - 23:01
विलायत-ए-फ़कीह, फ़िक़्ही सिद्धांत से कहीं आगे; इस्लामी गणराज्य में एक जीवंत अनुभव

हौज़ा / पिछले चार दशकों में, विलायत-ए-फ़कीह इस्लामी क्रांति को संकटों से उबारने और राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने में सबसे महत्वपूर्ण कारक रहा है; एक ऐसी भूमिका जिसे आज के मदरसे को युवा पीढ़ी को समय की भाषा में समझाना चाहिए।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान की इस्लामी क्रांति ने अपनी स्थापना के बाद से चार दशकों में थोपे गए युद्धों, बाहरी दबावों और राजनीतिक व आर्थिक संकटों का सामना किया, लेकिन इन सभी चुनौतियों के बावजूद, यह अडिग और अटल रही। इस स्थिरता का सबसे बड़ा रहस्य धार्मिक नेतृत्व और विलायत-ए-फ़कीह की स्थिति है, जिसने क्रांति के स्तंभ के रूप में राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सामंजस्य को बनाए रखा।

इस्लामी गणराज्य में विलायत-ए-फ़क़ीह का अनुभव न केवल एक फ़िक़्ही सिद्धांत रहा है, बल्कि राजनीतिक व्यवस्था की वैधता और प्रभावशीलता की गारंटी भी रहा है। धार्मिक नेतृत्व में जनता का विश्वास एक ऐसी संपत्ति है जिसने राष्ट्र को अभूतपूर्व दबावों का सामना करने की क्षमता प्रदान की है। जब भी देश पर संकटों का साया गहराया है, न्यायशास्त्र के संरक्षकत्व के मार्गदर्शन ने कठिन रास्तों को पार करने का मार्ग प्रशस्त किया है।

आज, समाज पहले से कहीं अधिक सांस्कृतिक और मीडिया परिवर्तनों के संपर्क में है। युवा पीढ़ी नए प्रश्नों और बौद्धिक उलझनों का सामना कर रही है और स्पष्ट एवं तार्किक उत्तरों की अपेक्षा कर रही है। यदि न्यायशास्त्र के संरक्षकत्व की स्थिति को समझाने का तरीका पारंपरिक स्वरूपों तक ही सीमित रहा, तो संभव है कि यह पीढ़ी अपने प्रश्नों को अनुत्तरित मान ले। यहीं पर मदरसे का उद्देश्य प्रकट होता है; मदरसे को बात करने के नए तरीके खोजने चाहिए और तर्क, प्रमाण और व्यावहारिक उदाहरणों के माध्यम से न्यायशास्त्र के संरक्षकत्व के महत्व को समझाना चाहिए।

इस्लामी क्रांति एक नई इस्लामी सभ्यता के निर्माण के पथ पर अग्रसर है, और यह मार्ग फ़िक़्ह की संरक्षकता के बिना लुप्त हो जाएगा। हौज़ा ए इल्मिया अपनी वैज्ञानिक और आध्यात्मिक पृष्ठभूमि के साथ इस मार्ग का गारंटर बन सकता है, बशर्ते कि वह विचार और दृष्टि तथा कार्य क्षेत्र में सक्रिय और सामयिक भूमिका निभाए।

फ़िक़्ह की संरक्षकता इस्लामी क्रांति का सुदृढ़ स्तंभ और व्यवस्था की राजनीतिक वैधता का आधार है। पिछले चार दशकों के अनुभवों ने दर्शाया है कि जब भी समाज ने बड़े संकटों का सामना किया है, न्यायशास्त्री की संरक्षकता के मार्गदर्शन और शांतिदायक भूमिका ने क्रांति का मार्ग प्रशस्त किया है। आज, मदरसे पर अपनी स्पष्ट भाषा और सक्रिय उपस्थिति के साथ नई पीढ़ियों को इस स्थिति को समझाने और बनाए रखने की पहले से कहीं अधिक ज़िम्मेदारी है।

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